चासनी
मैं फीका बेस्वाद था
पाया तेरा साथ
तेरे प्यार की चाशनी
मुझ में लाई मिठास
हटाई सब कटुताई
बनाया मुझे मिठाई
तू है बूंदी सुहानी
प्यार भरा भरपूर
बंध कर तेरे प्यार में
बना मैं मोतीचूर
भले ही बिखरा बिखरा
साथ तेरा पा निखरा
तरल दूध था मैं तपा
प्यार आंच में यार
खुद को खोया हो गया
खोवा बना तैयार
स्वाद कुछ ऐसा पाया
सभी के मन को भाया
मैदा बना खमीर मै
तला गया ,बन धार
बना जलेबी चाशनी
में डूबा हर बार
भले ही टेड़ा मेड़ा
स्वाद मेरा अलबेला
मदन मोहन बाहेती घोटू
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