Saturday, October 9, 2010

रेखा

रेखा
मैंने जब रेखा को देखा,मई था छोटा,वो थी जवान
फिर बार बार उसको देखा, वो थी जवान,मै था जवान
लेकिन इन धुंधली आखो से,अब भी उसको देखा करता
वो है अब भी जवान लगती,लेकिन मै हूँ बूढा लगता
तो मैंने उनसे पूछ लिया,एक बात बताओ रेखा जी
क्यों नहीं तुम्हारे चेहरे पर,है चढ़ी उम्र की रेखा जी
रेखा बोली मुस्का कर के,व्यायाम करो और कम खाओ
योग और प्राणायाम करके, व्यक्तित्व चिर युवा तुम पाओ
थी कितनी स्लिम सायराजी,कितनो के दिल की रानी थी
दुबला पतला छरहरा बदन,सारी दुनिया दीवानी थी
पर जब से पति का प्यार मिला,दूना हो गया दायरा है
पहले जैसी दुबली पतली, अब ना वो रही सायरा है
वह सुंदर कटे बाल वाली,लड़की छरहरे बदन की थी
था नाम साधना हिरोइन मेरे महबूब फिलम की थी
पर जबसे उसको महबूब मिला वह फूली फूली फूल गयी
हो गया घना साधना बदन,अब जनता उसको भूल गयी
तो शादी कर लेने पर जब,आहार प्यार का मिलता है
अच्छा खासा छरहरा बदन,शादी के बाद फूलता है
तो कम खाना और योग,साथ में अबतक मै जो क्वारी हूँ
इसलिए चिर युवा लगती हूँ,मै सुंदर हूँ मै प्यारी हूँ

पर जब से उसको महबूब मिला वह फूली फूली फूल gayee

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