Sunday, November 21, 2010

purane chawal

पुराने चावल
पकेगा तो महकेगा खिल खिल के दाना
क्योकि ये चावल पुराना बहुत है
नहीं प्यार करने की हिम्मत बची है
कैसे भी नजरे चुराना बहुत है
कभी पेट में दर्द,खांसी कभी है
सरदर्द का फिर बहाना बहुत है
भले ही हमारी,है ये जेब खली
तजुरबो का लेकिन खजाना बहुत है

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