Wednesday, January 26, 2011

माँ तुम ऐसी गयी ,गया सब ,खुशियों का संसार

माँ तुम ऐसी गयी ,गया सब ,खुशियों का संसार
तार   तार हो बिखर गया है ,ये सारा परिवार
जब तुम थी तो चुम्बक जैसी ,सभी खींचे आते थे
कितनी चहल पहल होती थी ,हंसते थे ,गाते थे
दीवाली की लक्ष्मी पूजा और होली के रंग
कोशिश होती इन मोको पर ,रहें सभी संग संग
साथ साथ मिल कर मानते थे ,सभी तीज त्योंहार
माँ ,तुम ऐसी गयी ,गया सब ,खुशियों का संसार
जब तुम थी तो ,ये घर ,घर था ,अब है तिनका तिनका
टूट गया तिनको तिनको में ,कुछ उनका ,कुछ इनका
छोटी मुन्नी ,बड़के भैया,मंझली ,छोटू ,नन्हा
अब तो कोई नहीं आता है ,सब है तनहा तनहा
एक डोर से बाँध रखा था ,तुमने ये घर बार
माँ,तुम ऐसी गयी ,गया सब खुशियों का संसार
भाई भाई के बीच खड़ी है ,नफरत की दीवारे
कोर्ट ,कचहरी,झगडे नोटिस,खिंची  हुई तलवारें
लुप्त हो गया ,भाईचारा,लालच के अंधड़ में
ऐसी सेंध लगाई स्वार्थ ने ,खुशियों के इस गढ़ में
माँ तुम रूठी ,टूट गया सब ,गठा हुआ संसार
तार तार हो कर के बिखरा ,ये सारा घर बार
संस्कार की देवी थी तुम ,ममता का आँचल थी
खान प्यार की ,माँ तुम आशीर्वादों का निर्झर थी
सबको राह दिखाती थी तुम ,सुख दुःख और मुश्किल में
तुम सबके दिल में रहती थी ,सभी तुम्हारे दिल में
हरा भरा परिवार वृक्ष था ,माँ तुम थी आधार
माँ, तुम ऐसी गयी ,गया सब ,खुशियों का संसार


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