Sunday, April 24, 2011

सुबह--सुबह

 सुबह--सुबह
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आने का जिसका सुबह सुबह इंतजार था
 दिल लग नहीं रहा था ,जिया  बेक़रार था
आया  तो उसे प्रेम से  हाथों  में ले  लिया
हमने उलट पुलट  की किया ,उससे प्यार था
चेहरा था  बड़ा बोल्ड ,जिसम था भरा हुआ,
हुस्नो अदा का आगे पीछे इश्तिहार था
सोलह का था या बीस का ,लेकिन हसीन था
नज़रें गड़ा के देखा तो वो खुशगवार था
ली चाय की फिर चुस्कियां,उसके ही साथ में
दिल में समेत लाया वो  बातें हज़ार था
"इससे ही चिपके रहोगे या देखोगे मुझे"
बीबी ने जो फटकारा ,सच ,मै गुनाहगार था
दुनिया ,जहान की सभी ख़बरें लिए हुए,
मैंने पढ़ा ,और रख दिया,वो अखबार था

    मदन मोहन बाहेती 'घोटू'



                                               

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