नमक के खेत
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दूर दूर तक फैले हुए, सफ़ेद सफ़ेद
नमक के खेत
समुन्दर का पानी,
जब छोड़ देता है अपना खारापन
तो बन जाता है श्वेत लवन
जो है जीवन
जब भी मै देखता हूँ
समुद्र के पानी को क्यारियों में रोकती मुंडेर
या चमचमाते श्वेत लवन के ढेर
तो श्रद्धा से बोल पड़ता है मेरा मन
हे!भुवनभास्कर ,तुम्हे नमन
तुम्हारी उष्मा ही,
देती है हमें जीवन
और हे रत्नाकर!
तुम अपना जल
सूरज की ऊष्मा से जला कर
बन जाते हो बादल
और बरसते हो बन कर जीवन
और तुम्हारा अवशेष
अत्यंत विशेष
स्वाद की खान
तुम्हे प्रणाम
गेहूं के लहलहाते खेत
या फूलों के महकते बाग़
हमारी सांसे,हमारा जीवन
और जीवन का स्वाद
सब सूरज और सिन्धु की
जुगल बंदी का है प्रसाद
देखता हूँ जब भी सफ़ेद सफ़ेद
नमक के खेत
तो मेरा मन
करता है इन्हें शत शत नमन
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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दूर दूर तक फैले हुए, सफ़ेद सफ़ेद
नमक के खेत
समुन्दर का पानी,
जब छोड़ देता है अपना खारापन
तो बन जाता है श्वेत लवन
जो है जीवन
जब भी मै देखता हूँ
समुद्र के पानी को क्यारियों में रोकती मुंडेर
या चमचमाते श्वेत लवन के ढेर
तो श्रद्धा से बोल पड़ता है मेरा मन
हे!भुवनभास्कर ,तुम्हे नमन
तुम्हारी उष्मा ही,
देती है हमें जीवन
और हे रत्नाकर!
तुम अपना जल
सूरज की ऊष्मा से जला कर
बन जाते हो बादल
और बरसते हो बन कर जीवन
और तुम्हारा अवशेष
अत्यंत विशेष
स्वाद की खान
तुम्हे प्रणाम
गेहूं के लहलहाते खेत
या फूलों के महकते बाग़
हमारी सांसे,हमारा जीवन
और जीवन का स्वाद
सब सूरज और सिन्धु की
जुगल बंदी का है प्रसाद
देखता हूँ जब भी सफ़ेद सफ़ेद
नमक के खेत
तो मेरा मन
करता है इन्हें शत शत नमन
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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