Sunday, May 1, 2011

हनुमान जी के मंदिर में

हनुमान जी के मंदिर में
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             १
एक कंवारी कन्या
श्रद्धा भरे दिल में
हर मंगलवार को जाती थी
हनुमान जी के मंदिर में
पूजन के बाद
चढ़ाती थी प्रशाद
माथे पर सिन्दूर का टीका लगा
मांगती थी आशीर्वाद
हे प्रभु!मेरी इच्छा पूरी करदो
अच्छा सा वर दो
आपके प्रशाद का ये जो टीका
मै लगाती हूँ अपने माथे पर
उसे थोडा ऊँचा करवा दो
मेरी मांग में भरवा दो
           2
हनुमान जी के एक परम भक्त
प्रभु ध्यान में अनुरक्त
रोज हनुमान मंदिर जाते थे
हनुमान चालीसा गाते थे
चाहते थे बस इतना
जैसे राम के साथ  हनुमान पूजे जातें है,
ये भी बॉस के साथ पूजे जाये उतना
प्रभु की कृपा से एक दिन हुई अंतर प्रेरणा
बॉस को अपने कन्धों पर बताओ
उनके काम के लिए ,दूसरों का ग्राम जलाओ
बॉस की बीबी के लिए,समंदर भी लाँघ जाओ
उनके भाई बंधू के लिए पहाड़ भी उठाओ
बस,बॉस की अनुकंपा होगी अक्षुण
और बॉस के साथ पूजे जाओगे तुम
                    ३
हाथ जोड़ विनती करे,श्री बजरंगीलाल
एन.आर.आइ.बनादो,हमको दीनदयाल
हमको दीनदयाल ,कृपा हो जाए तुम्हारी
मंदिर में लटका दूं झालर डालर वाली
वर्क परमिट दिलवा दो ,प्रभु ,दिलवादो वीसा
अमेरिका में फैला दूं,हनुमान चालीसा

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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