मेरी जानू
तेरे मन में क्या है,ये मै कैसे जानू?
तेरी सुषमा
पैदा करती मुझमे ऊष्मा
तेरी खुशबू
कर देती मुझको बेकाबू
तेरा सपना
लगता मुझको बिलकुल अपना
और तेरे लब
मद के प्याले भरे लबालब
तेरी पलकें
जिनमे सपने पलते कल के
तेरी आँखें
चुभ चुभ जाती मन में आके
तेरा चेहरा
मन में प्यार जगाता गहरा
तेरे गाने
लगते दिल में प्यार जगाने
तेरे ताने
लगते है सरगम की ताने
छू तेरा तन
आता है मुझ में परिवर्तन
तुम कमाल हो
और हुस्न से भरा माल हो
तेरा यौवन
कब मह्कायेगा मेरे जीवन का मधुवन
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
तेरे मन में क्या है,ये मै कैसे जानू?
तेरी सुषमा
पैदा करती मुझमे ऊष्मा
तेरी खुशबू
कर देती मुझको बेकाबू
तेरा सपना
लगता मुझको बिलकुल अपना
और तेरे लब
मद के प्याले भरे लबालब
तेरी पलकें
जिनमे सपने पलते कल के
तेरी आँखें
चुभ चुभ जाती मन में आके
तेरा चेहरा
मन में प्यार जगाता गहरा
तेरे गाने
लगते दिल में प्यार जगाने
तेरे ताने
लगते है सरगम की ताने
छू तेरा तन
आता है मुझ में परिवर्तन
तुम कमाल हो
और हुस्न से भरा माल हो
तेरा यौवन
कब मह्कायेगा मेरे जीवन का मधुवन
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
No comments:
Post a Comment