Friday, June 17, 2011

बारिश है पर दूर सजन है

बारिश है पर दूर सजन है
चूल्हा ठंडा पड़ा हुआ है,सिगड़ी बिगड़ी ,नहीं अगन है
बारिश है  पर दूर सजन है
है स्टोव बिसूरता उसमे पर मिटटी का तेल नहीं है
ओ पीहर की प्यारी प्रियतम,मेरा घर भी जेल नहीं है
आजकेतलीसूनी सूनी,भाग गयी है,चाय निगोड़ी
ठंडा मौसम,भूख लगी पर,कौन खिलाये,मुझे पकोड़ी
तेल पड़ा है,प्याज पड़े है,मगर पास में ना बेसन है
बारिश है पर दूर सजन है
पाकिट  भर सिगरेट पड़ी है,लेकिन सील गयी है माचिस
भुट्टा छिलकों बीच दबा है,कैसे पाऊं ,भुट्टे का 'किस'
बाहर रिमझिम है गीलापन ,लेकिन मेरा उर सूखा है
ओ दिलवाली! ये दीवाना तेरे दर्शन का भूखा है
'पी घर' से तो मन उकताता,पर 'पीहर' से लगी लगन है
बारिश है पर दूर सजन है

घोटू

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