Friday, June 17, 2011

मुकरियां

मुकरियां
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   १
जब जब देखूं,मन में भावे
व बिन मोहे ,कछु न सुहावे
मोको वासे  सच्चो प्रेमा
को सखी साजन, नहीं सिनेमा
       २
रात पड़े तब मोहे सतावे
पलक बसे अरु मोहि  सुलावे
दुक्ख भुलावे ,मोरा मितरा
को सखी साजन,न सखी निदरा
           ३
रात पड़े तब मो पर छावे
गरम करे मोरि ठण्ड भगावे
मजा देत है मोहि सुलाई
को सखी साजन,नहीं रजाई
          ४
दुबली,टेडी,ऊँची,नीची
प्यारी लागत रस में सींची
पीत वर्ण अति सुन्दर देबी
को सखे सजनी,नहीं जलेबी

घोटू
(सन १९५५-५६ में मध्यभारत की हाई स्कूल की
हिंदी पुस्तक में कुछ मुकरियां पढ़ी थी और लिखी भी थी
वो ही पुरानी मुकरियां प्रस्तुत है )



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