Saturday, June 11, 2011

मेरी मीता

मेरी मीता
तुम बिन, हर दिन,
एसा बीता
रीता रीता
दिन आया फिर सांझ हो गयी
रजनी काजल आंझ  सो गयी
मैंने ,हर पल ,
भोर प्रतीता
मेरी मीता
शरद,ग्रीष्म ,कुछ जान न पाया
ऋतुओं को  पहचान न पाया
हर मौसम था ,
तीता,तीता
मेरी मीता
तुममे खोयी मेरी आँखे
उडी सपन की लेकर पांखें
मिला नहीं ,
मेरा मनचीता
मेरी मीता
प्रेमपंथ में भटक भटक कर
जब पहुंचा प्रीतम पनघट पर
पाया पनघट,
रीता,रीता
मेरी मीता

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

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