मेरी मीता
तुम बिन, हर दिन,
एसा बीता
रीता रीता
दिन आया फिर सांझ हो गयी
रजनी काजल आंझ सो गयी
मैंने ,हर पल ,
भोर प्रतीता
मेरी मीता
शरद,ग्रीष्म ,कुछ जान न पाया
ऋतुओं को पहचान न पाया
हर मौसम था ,
तीता,तीता
मेरी मीता
तुममे खोयी मेरी आँखे
उडी सपन की लेकर पांखें
मिला नहीं ,
मेरा मनचीता
मेरी मीता
प्रेमपंथ में भटक भटक कर
जब पहुंचा प्रीतम पनघट पर
पाया पनघट,
रीता,रीता
मेरी मीता
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
तुम बिन, हर दिन,
एसा बीता
रीता रीता
दिन आया फिर सांझ हो गयी
रजनी काजल आंझ सो गयी
मैंने ,हर पल ,
भोर प्रतीता
मेरी मीता
शरद,ग्रीष्म ,कुछ जान न पाया
ऋतुओं को पहचान न पाया
हर मौसम था ,
तीता,तीता
मेरी मीता
तुममे खोयी मेरी आँखे
उडी सपन की लेकर पांखें
मिला नहीं ,
मेरा मनचीता
मेरी मीता
प्रेमपंथ में भटक भटक कर
जब पहुंचा प्रीतम पनघट पर
पाया पनघट,
रीता,रीता
मेरी मीता
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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