मेह सुख -देह सुख
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सूरज के,यौवन की,
प्रखर तेज किरणों का,
पाया जो आलिंगन,
तप्त हुई धरती
अवनि की तपस देख,
घुमड़ घुमड़ घिरे मेघ,
अम्बर पर छाये,
आश्वस्त हुई धरती
मेघों ने गरज गरज,
गया जब मिलन गीत,
साजन के सपनो में,
मस्त हुई धरती
बारिश की फुहारें,
भिगा गयी सब तन मन,
सौंधी सी गंधायी,
तृप्त हुई धरती
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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सूरज के,यौवन की,
प्रखर तेज किरणों का,
पाया जो आलिंगन,
तप्त हुई धरती
अवनि की तपस देख,
घुमड़ घुमड़ घिरे मेघ,
अम्बर पर छाये,
आश्वस्त हुई धरती
मेघों ने गरज गरज,
गया जब मिलन गीत,
साजन के सपनो में,
मस्त हुई धरती
बारिश की फुहारें,
भिगा गयी सब तन मन,
सौंधी सी गंधायी,
तृप्त हुई धरती
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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