Monday, July 11, 2011

तुम्ही तो अर्धांगिनी हो

तुम्ही तो अर्धांगिनी हो
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तुम ह्रदय की स्वामिनी हो,
       और जीवन संगिनी हो
मै अधूरा बिन तुम्हारे,
        तुम्ही तो अर्धांगिनी हो
,तुम महकते पुष्प की क्यारी,
         भ्रमर मै गुनगुनाता
रूप की रोशन शमा तुम,
         मै पतंगा छटपटाता
 कभी बदली सी बरसती,
         कभी छा जाती घटा सी  
चांदनी सी बिखर जाती,
        रूप की उज्जवल छटा सी
तुम्ही हो फुहार सावन की,
         पवन का मस्त झोंका
तुम्ही बासंती बहारें,
           और झरना मस्तियों का
प्यार का मै हूँ समंदर,
              हर लहर संग प्यार आता
पूर्णिमा के चन्द्र सी तुम,
             पास आती,ज्वार आता
मै दिया हूँ,तुम्ही बाती,
             गीत मै तुम रागिनी हो
मचलते मेरे ह्रदय की,
            कामना हो,कामिनी  हो
कृष्ण मै तुम राधिका सी,
             रास की रानी तुम्ही हो
प्यार आठों प्रहर करती,
             आठ पटरानी तुम्ही हो
तुम्हे पाकर ,पूर्ण सारी,
            हो गयी मन की उमंगें
तुम्हारा स्पर्श तन में,
             जगाता विद्युत् तरंगें
और इन विद्युत् तरंगों,
                की तुम्ही संवाहिनी हो
मै अधूरा बिन तुम्हारे,
                तुम्ही तो अर्धांगिनी हो

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

        
 

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