Sunday, July 10, 2011

हरा भरा जीवन

हरा भरा जीवन
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हरियाली सबको भाती है,कभी आपने गौर करा है
जीवन के हर रंग ढंग में,पाओगे तुम हरा भरा है
वर्षा में तो होती ही है,सारी धरती हरी भरी है
सर्दी में कोहरा होता है,तो गर्मी की दोपहरी है
नीलाम्बर के रस की बूँदें,पीत धरा से मिल जाती है
तो फिर हरा रंग आता है,या हरियाली छा जाती है
ग्रामीणों के खेत हरे है,शहरी के भी हरी संग है
और तिरंगा जो लहराता,उसमे भी  तो हरा रंग है
सुबह उठो तो धूप सुनहरी,दिन  चढ़ आया,दोपहरी है
रात हुई तो मिले मसहरी,सदा जिंदगी हरी भरी है
अगर ख़ुशी होती तो हमको,हंस हंस मन दोहरा होता है
जब दुःख होता है तो चेहरा,चिंता से गहरा होता है
अपनी तबियत  हरी हो गयी,देखा उनका सुन्दर चेहरा
किसने यह मन हरा हाय रे,मतवाला था रूप सुनहरा
बदन छरहरा अच्छा लगता,क्योकि अंत में लगा हरा है
रंग सुनहरा,काली आँखे,पर उनमे काजल गहरा  है
उनकी जुल्फे लहराती है,उनका आँचल फहराता  है
लहराता हो या फहराता,हरा बीच में पर आता है
आज देश के नेता कहते,हमको हरी क्रांति लाना है
हरी लगा है तभी तरक्की,कर पाया यह हरियाणा है
हरिद्वार में हरियाली है,क्योकि हरी आगे बैठा है
देहरादून हरा लगता है,हरी बीच में आ लेटा  है
हरी सुभद्रा कृष्णचन्द्र ने,रावण को थे राम हराये
हरे राम और हरे कृष्ण का,जाप और भी फ़ैल रहा है
सबसे अच्छे आम दशहरी,है प्यारा त्यौहार दशहरा
हरी घांस खाकर के पशु भी,देने लगते दूध दोहरा
अक्सर लोग कहा करते है,कितनी बार सुना जाता है
के सावन के हर अंधे को,सब कुछ हरा नज़र आता है
लेकिन आँखों वालों तुम भी,मेरी बात मान जाओगे
जीवन के हर रंग ढंग में,अक्सर हरा भरा पाओगे

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

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