Wednesday, August 10, 2011

घर का खाना

घर का खाना
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पकवानों को देख बहुत मन ललचाता है
थाली में पर घर का खाना ही आता है
अच्छा लगने लगता जो खाते रोजाना
सबको अच्छा लगता अपने घर का खाना
लेकिन कभी कभी मन हो जाता है बेकाबू
जब पड़ोस के चौके से आती है खुशबू
कभी कभी होटल जाने को भी जी करता
पेट मगर घर की रोटी से ही है भरता
वैसे ही, सूखी लकड़ी हो या हो हथिनी
सबको अच्छी लगती अपनी अपनी पत्नी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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