महाभारत-आठ दोहे
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१
मै हूँ प्यासा युधिष्ठिर,तुम जल भरा तलाब
यक्ष प्रश्न का तुम्हारे,दूंगा सभी जबाब
२
तुम हो मछली घूमती,रहा तुम्हे मै ताक
प्रेम तीर एसा चले,कि बिंध जाए आँख
३
मुझ पर रीझी उर्वशी,मांगे प्रेम प्रसाद
श्राप मिले ,पर ना रमण,करूं और के साथ
४
कुरुक्षेत्र कि तरह है,घर,गृहस्थ,मैदान
तुम कहती सब से लड़ो,ये गीता का ज्ञान
५
इस विराट के महल में,सबके अपने कृत्य
अर्जुन जैसे योद्धा,सिखलाते हैं नृत्य
६
चक्रव्यूह तुमने रचा,पहन आवरण सात
सातों वाधाएं हटे, अभिमन्यु के हाथ
७
राह दिखाओ पति को,यदि पति है जन्मांध
गांधारी सी मत रहो,आँख पट्टियां बाँध
८
प्रेम गली सकड़ी नहीं,कृष्ण कहे मुसकाय
आठ लें कि सड़क है,आठ रानियाँ आय
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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१
मै हूँ प्यासा युधिष्ठिर,तुम जल भरा तलाब
यक्ष प्रश्न का तुम्हारे,दूंगा सभी जबाब
२
तुम हो मछली घूमती,रहा तुम्हे मै ताक
प्रेम तीर एसा चले,कि बिंध जाए आँख
३
मुझ पर रीझी उर्वशी,मांगे प्रेम प्रसाद
श्राप मिले ,पर ना रमण,करूं और के साथ
४
कुरुक्षेत्र कि तरह है,घर,गृहस्थ,मैदान
तुम कहती सब से लड़ो,ये गीता का ज्ञान
५
इस विराट के महल में,सबके अपने कृत्य
अर्जुन जैसे योद्धा,सिखलाते हैं नृत्य
६
चक्रव्यूह तुमने रचा,पहन आवरण सात
सातों वाधाएं हटे, अभिमन्यु के हाथ
७
राह दिखाओ पति को,यदि पति है जन्मांध
गांधारी सी मत रहो,आँख पट्टियां बाँध
८
प्रेम गली सकड़ी नहीं,कृष्ण कहे मुसकाय
आठ लें कि सड़क है,आठ रानियाँ आय
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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