Saturday, November 12, 2011

वृद्ध का सन्मान कर दो

बहुत पूजित वृद्ध जन है
प्यार का ऊंचा गगन है
सफलता की सीढियां है,
संस्कृति का ये चमन है
हमारे बूढ़े ,बड़े  है
मुश्किलों से ये लड़े है
डगमगाए जब कभी हम,
थामने हरदम खड़े  है
आज ये पीढ़ी पुरानी
सफलताओं की कहानी
आज हम जो है,जहाँ है,
ये इन्ही की मेहरबानी
उम्र मत तुम  प्यार देखो
भावना,उपकार देखो
करो सेवा,पाओगे तुम,,
आशीषें  हर बार देखो
जिन्होंने सारी उमर भर
लुटाया,निज नेह तुम पर
मांगते ,प्रतिकार में है,
प्यार और सन्मान केवल
उमर का यशगान  करदो
वृद्ध  का सन्मान कर दो
प्यार की ले पुष्पमाला,
अनुभवों का मान कर दो
हो ख़ुशी मुस्कायेंगे वो
भाव से भर जायेंगे वो
मुदित हो विव्हल ह्रदय से,
अश्रुजल छलकायेंगे वो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

No comments:

Post a Comment