Tuesday, December 6, 2011

हुंकार

                        हुंकार
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हम भी थोड़ी सी पहल करें,तुम भी थोड़ी सी पहल करो
यदि परिवर्तन लाना है तो,क्रांति ध्वज लेकर  निकल पड़ो
अब अर्थ व्यवस्था पिछड़ी है,क़ानून व्यवस्था बिगड़ी है
प्रगति की गति हुई क्षीण,कुछ चाल हो गयी लंगड़ी है
मंहगाई सुरसा के जैसी,नित है अपना मुख बढ़ा रही
हो रहे त्रस्त,सब अस्त व्यस्त,जीवन की गति गड़बड़ा रही
सत्ता सुंदरी के मोहपाश में कुछ एसा आकर्षण है
स्केमो,फर्जिवाड़ो में ,हो रहे लिप्त नेता गण है
सब मनोवृत्तियां कुंठित है,हो रहा प्रशासन खंडित है
जिनने चुन कर सत्ता सौंपी ,वो जनता होती दण्डित है
हमको आपस में लड़ा भिड़ा,नेता निज रोटी सेक रहे
हम बने मूक दर्शक केवल,ये खेल घिनोना देख रहे
हम मौन ,शांत और बेबस से,क्यों सहन कर रहे उत्पीडन
अधिकारों का हो रहा हनन,क्यों स्वाभिमान कर रहा शयन
क्यों पड़े हुए हम लुंज पुंज,क्यों पौरुष पड़ा हुआ है मृत
यह समय नहीं है सोने का,होना होगा हमको जागृत
ये भ्रष्टाचार हटाना है,ये बन्दर बाँट मिटानी है
सत्ता के चंद दलालों की, हमने कुर्सी खिसकानी है
कर लिया सहन है बहुत दलन,अब आन्दोलन करना होगा
आमूल चूल परिवर्तन का,अब हमको प्रण करना होगा
आओ अपना बल दिखला दो ,सब के सब  मिल कर उबल  पड़ो
  हम भी थोड़ी सी पहल करें,तुम भी थोड़ी सी पहल करो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'












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