Wednesday, December 5, 2012

गिरावट

          गिरावट

मंहगाई गिरती है,लोग खुश होते है
 संसेक्स गिरता है कई लोग रोते है 
पारा  जब गिरता है,हवा सर्द होती है
पाला जब गिरता है ,फसल नष्ट होती है 
सरकार गिरती है तो एसा होता है
कोई तो हँसता है तो कोई रोता है
आंसू जब गिरते है,आँखों से औरत की
शुरुवात होती है ,किसी महाभारत  की
लहराते वो आते  ,पल्लू  गिराते है
बिजली सी गिरती जब वो मुस्कराते है
शालीनता गिरती है,वस्त्र घटा करते है
आदर्श गिरते जब वस्त्र  हटा करते है
लालच और लिप्सा से ,मानव जब घिरता है 
पतन के गड्डे में,अँधा हो गिरता  है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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