Thursday, September 12, 2013

अखिंया ,चंचल शोख बड़ी

              घोटू के पद
अखिंया ,चंचल शोख बड़ी
बेसुध,बेकल दीवानी है,साजन संग लड़ी
देखा करती पिया मिलन के ,सपने घडी घडी
कभी हवा का झोंका बन कर ,आँचल को लहराती
तितली सी जाती उड़ उड़ कर ,आसपास मंडराती
कभी भ्रमर सी गुंजन करती ,चुम्बन कर रस पीती
मधु मख्खी सी,मधु संचित कर ,मिलन आस में जीती
घर और द्वारे,राह निहारे .पिय  की  खड़ी खड़ी
देखा करती ,मधुर  मिलन के,सपने घड़ी घड़ी
अँखियाँ ,चंचल ,शोख  बड़ी

घोटू 

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