Saturday, September 7, 2013

मूंछें -साजन की

                मूंछें -साजन की

मर्दाने चेहरे पर  लगती तो है प्यारी

साजन ,मुझको नहीं सुहाती मूंछ तुम्हारी

        जब होता है मिलन,शूल से मुझे चुभोती

         सच तो ये है ,मुझको बड़ी गुदगुदी होती

लब मिलने के पहले रहती खडी अगाडी

साजन ,मुझको नहीं सुहाती मूंछ तुम्हारी

           बाल तुम्हारी मूंछों के कुछ लम्बे ,तीखे

           कभी नाक में घुस जाते  तो आती छींके

होती दूर ,प्यार करने की इच्छा सारी

साजन मुझको नहीं सुहाती मूंछ तुम्हारी

               दाढ़ी तो है ठीक ,मगर मूंछें जालिम है
              
                चुभती तो दाढ़ी भी है पर  थोड़ी कम है
दाढ़ी कभी कभी चुभती तो लगती प्यारी
साजन मुझको नहीं सुहाती  मूछ  तुम्हारी

मदन मोहन बाहेती;घोटू'          

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