प्यार का अंक गणित
२+२ =१ या १+१ =३
दो आँखे जब दो आँखों से मिलती तो मिल जाते है मन
दो लब जब दो लब से टकराते हैं तो बंध जाता बंधन
दो बाहें जब दो बाहों से बंधती तो होता आलिंगन
तो फिर ये दो ,दो ना रहते ,एक हो जाते इनके तन मन
ये जीवन का अंक गणित भी ,बिलकुल नहीं समझ में आता
दो और दो मिल ,चार न बनते,उत्तर सिरफ एक है आता
साथ समय के ,मधुर मिलन ये ,एक तीसरा प्राणी लाता
एक नया ही समीकरण फिर,एक और एक ,तीन बन जाता
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
२+२ =१ या १+१ =३
दो आँखे जब दो आँखों से मिलती तो मिल जाते है मन
दो लब जब दो लब से टकराते हैं तो बंध जाता बंधन
दो बाहें जब दो बाहों से बंधती तो होता आलिंगन
तो फिर ये दो ,दो ना रहते ,एक हो जाते इनके तन मन
ये जीवन का अंक गणित भी ,बिलकुल नहीं समझ में आता
दो और दो मिल ,चार न बनते,उत्तर सिरफ एक है आता
साथ समय के ,मधुर मिलन ये ,एक तीसरा प्राणी लाता
एक नया ही समीकरण फिर,एक और एक ,तीन बन जाता
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
No comments:
Post a Comment