भगवान के नाम पर
लोग ,ले ले कर भगवान का नाम
देखो कर रहे है ,कैसे कैसे काम
कोई भगवान के नाम पर भीख माँगता है
कोई भगवान के नाम पर वोट माँगता है
कोई भगवान के नाम पर मांग रहा है चन्दा
हर कोई कर रहा है ,भगवान के नाम को गंदा
कोई देवी के आगे ,करता है पशु का बलिदान
और मांस भक्षण कर रहा है ,प्रसाद का लेकर नाम
कोई बाबा भैरवनाथ को दारु की बोतल चढाता है
और प्रसाद है के नाम पर मदिरा गटकाता है
कोई शिवजी की बूटी कह कर भांग पिया करता है
कोई कृष्ण बनने का स्वांग किया करता है
भक्तिनो के संग ,जल क्रीड़ा और रास रचाता है
वासना का कीड़ा है पर संत कहा जाता है
लोग भगवान को ,राजभोग और छप्पन भोग चढ़ाते है
और सारा माल ,खुद ही चट कर जाते है
अगर कभी कहीं भगवान प्रकट होकर ,
खाने लगे चढ़ाया गया सब प्रसाद
तो सारे पण्डे पुजारी भूखे मर जायेंगे ,
और हो जायेंगे बरबाद
अगर भगवान प्रसाद खाने लगे ,
तो प्रसाद चढ़ाना भी कम हो जाएगा
और भगवान के नाम पर धंधा चलाने वाले ,
इन धंधेबाजों का धंधा बंद हो जाएगा
हे भगवान! तेरे नाम पर कितना कुछ हो रहा है
और तू सो रहा है
अब तो तेरे नाम पर चलने वाले ,
धंधों की हो गयी है पराकाष्ठा
और घटने लगी है लोगों की आस्था
हे प्रभू !अब तो कुछ कर
शीध्र ही कोई नया अवतार धर
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
लोग ,ले ले कर भगवान का नाम
देखो कर रहे है ,कैसे कैसे काम
कोई भगवान के नाम पर भीख माँगता है
कोई भगवान के नाम पर वोट माँगता है
कोई भगवान के नाम पर मांग रहा है चन्दा
हर कोई कर रहा है ,भगवान के नाम को गंदा
कोई देवी के आगे ,करता है पशु का बलिदान
और मांस भक्षण कर रहा है ,प्रसाद का लेकर नाम
कोई बाबा भैरवनाथ को दारु की बोतल चढाता है
और प्रसाद है के नाम पर मदिरा गटकाता है
कोई शिवजी की बूटी कह कर भांग पिया करता है
कोई कृष्ण बनने का स्वांग किया करता है
भक्तिनो के संग ,जल क्रीड़ा और रास रचाता है
वासना का कीड़ा है पर संत कहा जाता है
लोग भगवान को ,राजभोग और छप्पन भोग चढ़ाते है
और सारा माल ,खुद ही चट कर जाते है
अगर कभी कहीं भगवान प्रकट होकर ,
खाने लगे चढ़ाया गया सब प्रसाद
तो सारे पण्डे पुजारी भूखे मर जायेंगे ,
और हो जायेंगे बरबाद
अगर भगवान प्रसाद खाने लगे ,
तो प्रसाद चढ़ाना भी कम हो जाएगा
और भगवान के नाम पर धंधा चलाने वाले ,
इन धंधेबाजों का धंधा बंद हो जाएगा
हे भगवान! तेरे नाम पर कितना कुछ हो रहा है
और तू सो रहा है
अब तो तेरे नाम पर चलने वाले ,
धंधों की हो गयी है पराकाष्ठा
और घटने लगी है लोगों की आस्था
हे प्रभू !अब तो कुछ कर
शीध्र ही कोई नया अवतार धर
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
No comments:
Post a Comment