गीत
शब्द पहले छंदों में ढलते है
छंद फिर धुनो में बंधते है
फिर किसी कोकिल कंठी के,
अधरों का स्पर्श पाते हुए,
दिल की गहराइयों से निकलते है
और संगीत के सुरों में सजते है ,
गीत बनते है
घोटू
शब्द पहले छंदों में ढलते है
छंद फिर धुनो में बंधते है
फिर किसी कोकिल कंठी के,
अधरों का स्पर्श पाते हुए,
दिल की गहराइयों से निकलते है
और संगीत के सुरों में सजते है ,
गीत बनते है
घोटू
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