बदलता मौसम
बदलते मौसम ने कितनी है बदल दी जिंदगी ,
या उमर का ये असर है ,समझ ना पाते है हम
सर्दी के मौसममे जब भी सर्दी लगती है हमें ,
लिपट कर के ,तेरी बाहों में समा जाते है हम
गर्मियों के दिनों में यूं बदलते हालात है,
लिपटते है तुमसे जब हम ,झट झिटक देती हो तुम,
क्योंकि तुमको गर्मी लगती है हमारे प्यार मे ,
चिपचिपे पन से बचाने,लिफ्ट ना देती हो तुम
हम भी चुम्बक तुम भी चुम्बक पर 'अपोजिट पोल 'है
हम में आकर्षण बहुत आता ,जब आती सर्दियाँ
गर्मियों में ,एक जैसे 'पोल'बन जाते है हम ,
एक दूजे से छिटकते , वक़्त की बेदर्दियां
जवानी जो सर्दियाँ है ,तो बुढ़ापा ग्रीष्म है,
उमर के संग ,मौसमो सा ,बदलता है आदमी
सख्त से भी सख्त दिल इंसान, बनता मोम है,
प्यार से पुचकार भी लो,तो पिघलता ,आदमी
लुभाती थी जो गरम साँसे तुम्हारे प्यार की ,
लगती खर्राटे हमें है, आजकल ये हाल है
पहले तकिया था सिरहाने,फिर सिरहाना तुम बनी ,
आजकल तकिया हमारे बीच की दीवार है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
बदलते मौसम ने कितनी है बदल दी जिंदगी ,
या उमर का ये असर है ,समझ ना पाते है हम
सर्दी के मौसममे जब भी सर्दी लगती है हमें ,
लिपट कर के ,तेरी बाहों में समा जाते है हम
गर्मियों के दिनों में यूं बदलते हालात है,
लिपटते है तुमसे जब हम ,झट झिटक देती हो तुम,
क्योंकि तुमको गर्मी लगती है हमारे प्यार मे ,
चिपचिपे पन से बचाने,लिफ्ट ना देती हो तुम
हम भी चुम्बक तुम भी चुम्बक पर 'अपोजिट पोल 'है
हम में आकर्षण बहुत आता ,जब आती सर्दियाँ
गर्मियों में ,एक जैसे 'पोल'बन जाते है हम ,
एक दूजे से छिटकते , वक़्त की बेदर्दियां
जवानी जो सर्दियाँ है ,तो बुढ़ापा ग्रीष्म है,
उमर के संग ,मौसमो सा ,बदलता है आदमी
सख्त से भी सख्त दिल इंसान, बनता मोम है,
प्यार से पुचकार भी लो,तो पिघलता ,आदमी
लुभाती थी जो गरम साँसे तुम्हारे प्यार की ,
लगती खर्राटे हमें है, आजकल ये हाल है
पहले तकिया था सिरहाने,फिर सिरहाना तुम बनी ,
आजकल तकिया हमारे बीच की दीवार है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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