अंजाम-ए -आशिक़ी
नहीं हमतुम मिले शायद ,लिखा था ये ही किस्मत में,
तू भी अच्छी तरह होगी ,मैं भी अच्छी तरह से हूँ
खैर ये है नहीं भटके हम अपने रास्तों से है ,
तू भी अपनी जगह पे है,मैं भी अपनी जगह पे हूँ
इश्क़ की दास्ताने सभी की, रहती अधूरी है,
मिली ना मजनू को लैला,नहीं फरहाद, शीरी को ,
हमारी आशिक़ी का भी, वही अंजाम होना था ,
दुखी तू बे वजह से है ,दुखी मैं बे वजह से हूँ
घोटू
नहीं हमतुम मिले शायद ,लिखा था ये ही किस्मत में,
तू भी अच्छी तरह होगी ,मैं भी अच्छी तरह से हूँ
खैर ये है नहीं भटके हम अपने रास्तों से है ,
तू भी अपनी जगह पे है,मैं भी अपनी जगह पे हूँ
इश्क़ की दास्ताने सभी की, रहती अधूरी है,
मिली ना मजनू को लैला,नहीं फरहाद, शीरी को ,
हमारी आशिक़ी का भी, वही अंजाम होना था ,
दुखी तू बे वजह से है ,दुखी मैं बे वजह से हूँ
घोटू
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