पराये का मज़ा
पराई चीज का लेना मज़ा हमको सुहाता है,
पराया चाँद ,पर हम चांदनी का सुख उठाते है
पराया सूर्य है पर धूप का आनंद लेते हम,
पराये बादलों की रिमझिमो में भीग जाते है
पराये घर की लड़की को ,बनाते अपनी घरवाली ,
उसी के साथ फिर हम जिंदगी सारी बिताते है
पराई थालियों में सबकी,घी ज्यादा नज़र आता ,
पराई नार को हम प्यार कर, सुन्दर बताते है
परायों की छतों पर झांकने में मज़ा मिलता है,
पराये माल को हम देख कर ,लालच में आते है
भले ही हो फटा कितना,हमारा ही गिरेबां पर,
परायों के फटे में झाँकने पर सुख उठाते है
हमारे जिगर के टुकड़े ,बाँध बंधन परायों से ,
ये ही देखा है अक्सर वो ,पराये हो ही जाते है
पराये लोग कितनी बार अपनों से भी बढ़ कर के,
आपका साथ देते जबकि अपने भूल जाते है
प्यार के बोल दो बस बोलते 'घोटू'हमेशा ही ,
प्यार पाते परायों से,उन्हें अपना बनाते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पराई चीज का लेना मज़ा हमको सुहाता है,
पराया चाँद ,पर हम चांदनी का सुख उठाते है
पराया सूर्य है पर धूप का आनंद लेते हम,
पराये बादलों की रिमझिमो में भीग जाते है
पराये घर की लड़की को ,बनाते अपनी घरवाली ,
उसी के साथ फिर हम जिंदगी सारी बिताते है
पराई थालियों में सबकी,घी ज्यादा नज़र आता ,
पराई नार को हम प्यार कर, सुन्दर बताते है
परायों की छतों पर झांकने में मज़ा मिलता है,
पराये माल को हम देख कर ,लालच में आते है
भले ही हो फटा कितना,हमारा ही गिरेबां पर,
परायों के फटे में झाँकने पर सुख उठाते है
हमारे जिगर के टुकड़े ,बाँध बंधन परायों से ,
ये ही देखा है अक्सर वो ,पराये हो ही जाते है
पराये लोग कितनी बार अपनों से भी बढ़ कर के,
आपका साथ देते जबकि अपने भूल जाते है
प्यार के बोल दो बस बोलते 'घोटू'हमेशा ही ,
प्यार पाते परायों से,उन्हें अपना बनाते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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