दीवानगी
दीवान ए आम हो चाहे ,
दीवान ए ख़ास हो चाहे
दीवानो का दीवानापन तो खुल्ले आम होता है
दीवानो के लिए ना ,
कोई भी दीवार होती है,
दीवानो का लिखा खत,प्यार का दीवान होता है
बजाते बांसुरी कान्हा ,
दीवानी गोपियाँ आती ,
दीवानापन ये ,उनके प्यार की पहचान होता है
दीवाना होता परवाना ,
शमा के प्यार में जलता ,
कोई मजनू ,कोई राँझा ,सदा कुर्बान होता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
दीवान ए आम हो चाहे ,
दीवान ए ख़ास हो चाहे
दीवानो का दीवानापन तो खुल्ले आम होता है
दीवानो के लिए ना ,
कोई भी दीवार होती है,
दीवानो का लिखा खत,प्यार का दीवान होता है
बजाते बांसुरी कान्हा ,
दीवानी गोपियाँ आती ,
दीवानापन ये ,उनके प्यार की पहचान होता है
दीवाना होता परवाना ,
शमा के प्यार में जलता ,
कोई मजनू ,कोई राँझा ,सदा कुर्बान होता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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