Sunday, September 14, 2014

पतिदेव से

                 पतिदेव से 

मेरा अंग अंग मुस्काता ,रोम रोम पुलकित होता है ,
इतना  रोमांचित कर देते ,मुझको सहला सहला करके
बाहुपाश में ,ऐसा कसते ,लगता है निचोड़ दोगे  तुम,
तन में आग लगा देते हो ,रख देते हो पिघला कर के
फूलों से कोमल कपोल पर ,करते हो चुम्बन की वर्षा ,
तुम पागल से हो जाते हो,मुझको निज बाहों में भर के
प्यार तुम्हारा ,मन भाता पर ,चुभती है ,तुम्हारी दाढ़ी ,
मेरे गाल न छिल पाएंगे ,यदि आओगे ,शेविंग कर के

मदन मोहन  बाहेती 'घोटू'

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