राहुल के -मन की बात -मोदीजी से
मुझे मालूम स्विज़रलैंड है इंग्लैंड ,अमरीका,
पता है इटली का,थाईलैंड का बैंकॉक है मालूम
और तुम घूमते ही रहते हो ,देशों,विदेशों में,
न जाने साल भर में देश कितने घूम आये तुम
कहीं बच्चों के संग खेलो ,कहीं तबला बजाते हो ,
जिधर भी जाते हो,होता उधर मोदी ही मोदी है
न जाने कौन सा जादू चलाते हो तुम लोगों पर,
मुझे ना पूछता कोई, मेरी लुटिया डुबो दी है
अभी तक देश की सत्ता ,हमारे हाथों में ही थी ,
हमारे पुश्तैनी धंधे पे , तुमने सेंध मारी है
मैं तपती धूप में,गाँवों में सड़कों पर रहूँ फिरता,
करूं पदयात्राएं ,तुमने वो हालत बिगाड़ी है
मैं भी पीएम बन सकता था पर अम्मा खिलाड़ी है,
अपने रिमोट से दस साल तक सत्ता चलाई है
बना कर सबको कठपुतली ,नचाया उँगलियों पर था,
घोटाले करवा हमने की ,करोड़ों की कमाई है
मगर हम ये समझते थे कि हिन्दुस्थान की जनता ,
बड़ी भोली है,बहकावे में ,आ जाएगी वादों पर
मगर तुमने दिखा सपने कि अब आएंगे अच्छे दिन,
पलीता ही लगा डाला, हमारे सब इरादों पर
जो वादे इतने सालों से ,किये हमने चुनावों मे ,
हमारे उन ही वादों को,चुरा ,जीते इलेक्शन तुम
अगर इनमे से आधे भी ,जो वादे पूर्ण कर दोगे ,
तो फिर अगले इलेक्शन तक,हमारी हस्ती होगी गुम
घूम कर इतने देशों में,छवि अपनी निखारी है,
हमारे देश की छवि को भी ,कुछ तुमने सुधारा है
मगर मैं और मेरी पार्टी आ जाए हाशिये पर,
कभी भी बात ये मुझको ,नहीं होती गंवारा है
मुझे मालूम है कि कुछ पुराने मेरे चमचे है,
चने के झाड़ पर मुझको ,चढ़ाते रहते है अक्सर
भले ही कुछ भी दूँ भाषण,मगर ये जानता हूँ मैं ,
कि ये सरकार तुम्हारी ,कर रही काम है बेहतर
मगर मजबूरी मेरी है,तभी आलोचना करता,
मुझे अस्तित्व अपना भी तो रखना देश में कायम
इसलिए रोज हंगामा,ये पदयात्रायें और ड्रामा,
प्रदर्शन ,मोरचेबाजी ,रोज ही करते रहते हम
भले तुम सूट पहनो या कि आधी बांह का कुरता ,
पहनना वस्त्र मरजी के,सभी को है ये आजादी
हम पिछले साठ सालों से ,सिर्फ वादे रहे करते ,
मगर तुमने,बरस भर में तरक्की करके दिखलादी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मुझे मालूम स्विज़रलैंड है इंग्लैंड ,अमरीका,
पता है इटली का,थाईलैंड का बैंकॉक है मालूम
और तुम घूमते ही रहते हो ,देशों,विदेशों में,
न जाने साल भर में देश कितने घूम आये तुम
कहीं बच्चों के संग खेलो ,कहीं तबला बजाते हो ,
जिधर भी जाते हो,होता उधर मोदी ही मोदी है
न जाने कौन सा जादू चलाते हो तुम लोगों पर,
मुझे ना पूछता कोई, मेरी लुटिया डुबो दी है
अभी तक देश की सत्ता ,हमारे हाथों में ही थी ,
हमारे पुश्तैनी धंधे पे , तुमने सेंध मारी है
मैं तपती धूप में,गाँवों में सड़कों पर रहूँ फिरता,
करूं पदयात्राएं ,तुमने वो हालत बिगाड़ी है
मैं भी पीएम बन सकता था पर अम्मा खिलाड़ी है,
अपने रिमोट से दस साल तक सत्ता चलाई है
बना कर सबको कठपुतली ,नचाया उँगलियों पर था,
घोटाले करवा हमने की ,करोड़ों की कमाई है
मगर हम ये समझते थे कि हिन्दुस्थान की जनता ,
बड़ी भोली है,बहकावे में ,आ जाएगी वादों पर
मगर तुमने दिखा सपने कि अब आएंगे अच्छे दिन,
पलीता ही लगा डाला, हमारे सब इरादों पर
जो वादे इतने सालों से ,किये हमने चुनावों मे ,
हमारे उन ही वादों को,चुरा ,जीते इलेक्शन तुम
अगर इनमे से आधे भी ,जो वादे पूर्ण कर दोगे ,
तो फिर अगले इलेक्शन तक,हमारी हस्ती होगी गुम
घूम कर इतने देशों में,छवि अपनी निखारी है,
हमारे देश की छवि को भी ,कुछ तुमने सुधारा है
मगर मैं और मेरी पार्टी आ जाए हाशिये पर,
कभी भी बात ये मुझको ,नहीं होती गंवारा है
मुझे मालूम है कि कुछ पुराने मेरे चमचे है,
चने के झाड़ पर मुझको ,चढ़ाते रहते है अक्सर
भले ही कुछ भी दूँ भाषण,मगर ये जानता हूँ मैं ,
कि ये सरकार तुम्हारी ,कर रही काम है बेहतर
मगर मजबूरी मेरी है,तभी आलोचना करता,
मुझे अस्तित्व अपना भी तो रखना देश में कायम
इसलिए रोज हंगामा,ये पदयात्रायें और ड्रामा,
प्रदर्शन ,मोरचेबाजी ,रोज ही करते रहते हम
भले तुम सूट पहनो या कि आधी बांह का कुरता ,
पहनना वस्त्र मरजी के,सभी को है ये आजादी
हम पिछले साठ सालों से ,सिर्फ वादे रहे करते ,
मगर तुमने,बरस भर में तरक्की करके दिखलादी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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