हवा हवाई
हवा कुछ इस तरह से आजकल बदली जमाने की
हवा सब हो गयी है संस्कृति , रिश्ते निभाने की
कमाए चार पैसे क्या , हवा में लोग उड़ते है
हवा सारी निकल जाती ,हक़ीक़त से जो जुड़ते है
बनाते है हवाई जो किले ,और कुछ नहीं करते
हवा थोड़ी सी भी बदली , पतंगों की तरह कटते
हवाबाजी दिखाते है ,बने अफसर जो दफ्तर में
हवा उनकी खिसकती है ,पत्नी के सामने ,घर में
हवा के रुख के संग चलना ,समझदारी है कहलाता
हवा में जो उड़ा देता ,बड़ो की सीख, पछताता
हवा जब तेज चलती है ,तो सब कुछ है उड़ा देती
हवा जब मंद बहती है तो मौसम का मज़ा देती
दर्द होता हवा मुंह से ,आह बन कर निकलती है
उदर का दर्द, जाता जब, हवा नीचे खिसकती है
हवा में सांस हम लेते ,न जी सकते ,हवा के बिन
हवा है खुश्क ,हम सबकी,बढे मंहगाई है हर दिन
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
हवा कुछ इस तरह से आजकल बदली जमाने की
हवा सब हो गयी है संस्कृति , रिश्ते निभाने की
कमाए चार पैसे क्या , हवा में लोग उड़ते है
हवा सारी निकल जाती ,हक़ीक़त से जो जुड़ते है
बनाते है हवाई जो किले ,और कुछ नहीं करते
हवा थोड़ी सी भी बदली , पतंगों की तरह कटते
हवाबाजी दिखाते है ,बने अफसर जो दफ्तर में
हवा उनकी खिसकती है ,पत्नी के सामने ,घर में
हवा के रुख के संग चलना ,समझदारी है कहलाता
हवा में जो उड़ा देता ,बड़ो की सीख, पछताता
हवा जब तेज चलती है ,तो सब कुछ है उड़ा देती
हवा जब मंद बहती है तो मौसम का मज़ा देती
दर्द होता हवा मुंह से ,आह बन कर निकलती है
उदर का दर्द, जाता जब, हवा नीचे खिसकती है
हवा में सांस हम लेते ,न जी सकते ,हवा के बिन
हवा है खुश्क ,हम सबकी,बढे मंहगाई है हर दिन
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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