दास्ताने मोहब्बत
चाहे पड़ा हो कितने ही पापड़ को बेलना ,
कैसे भी खुद को,उनके लिए 'फिट 'दिखा दिया
मजनू कभी फरहाद कभी महिवाल बन ,
हुस्नो अदा और इश्क़ पर ,मर मिट दिखा दिया
उनकी गली मोहल्ले के ,काटे कई चक्कर,
चक्कर में उनके डैडी से भी पिट दिखा दिया
देखी हमारी आशिक़ी ,वो मेहरबाँ हुए,
नज़रें झुका के प्यार का 'परमिट'दिखा दिया
पहुंचे जो उनसे मिलने हम ,गलती से खाली हाथ,
मच्छर समझ के हमको काला'हिट' दिखा दिया
दिल के हमारे अरमाँ सब आंसूं में बह गए,
'एंट्री' भी ना हुई थी कि ' एग्जिट' दिखा दिया
'मदन मोहन बाहेती'घोटू'
'
चाहे पड़ा हो कितने ही पापड़ को बेलना ,
कैसे भी खुद को,उनके लिए 'फिट 'दिखा दिया
मजनू कभी फरहाद कभी महिवाल बन ,
हुस्नो अदा और इश्क़ पर ,मर मिट दिखा दिया
उनकी गली मोहल्ले के ,काटे कई चक्कर,
चक्कर में उनके डैडी से भी पिट दिखा दिया
देखी हमारी आशिक़ी ,वो मेहरबाँ हुए,
नज़रें झुका के प्यार का 'परमिट'दिखा दिया
पहुंचे जो उनसे मिलने हम ,गलती से खाली हाथ,
मच्छर समझ के हमको काला'हिट' दिखा दिया
दिल के हमारे अरमाँ सब आंसूं में बह गए,
'एंट्री' भी ना हुई थी कि ' एग्जिट' दिखा दिया
'मदन मोहन बाहेती'घोटू'
'
No comments:
Post a Comment