जाने क्यूँ है ऐसा होता ?
कुछ करने को मन ना करता ,
मन करता ,हिम्मत ना होती ,
हिम्मत होती ,थक जाता हूँ,
परेशान फिर मन है रोता
जाने क्यूँ है ऐसा होता?
जी ये करता , थोड़ा टहलूं
सुनु किसी की,अपनी कहलूं
हंसलूँ मैं भी मार ठहाका,
कल कल कर नदिया सा बहलूं
घर से निकल न पाता पर बस
कुछ करने में आता आलस
हो ना पाता मैं टस से मस
और मेरा धीरज है खोता
जाने क्यूँ है ऐसा होता?
मन खोया रहता यादों में
डूबा रहता अवसादों में
करवट यूं ही बदलता रहता,
नींद नहीं आती रातों में
जी न करे खाने पीने का
मज़ा गया सारा जीने का
छुपा दर्द मेरे सीने का ,
आंसूं बन है मुझे भिगोता
जाने क्यूँ है ऐसा होता ?
दिन दिन बढ़ती हुई उमर है
क्या ये उसका हुआ असर है
दिन भर खोया खोया रहता,
चैन नहीं मुझको पल दो पल है
कोई भी मन ना बहलाता
कोई प्यार से ना सहलाता
भूल गए सब रिश्ता ,नाता
यही सोच कर मन है रोता
जाने क्यों है ऐसा होता ?
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कुछ करने को मन ना करता ,
मन करता ,हिम्मत ना होती ,
हिम्मत होती ,थक जाता हूँ,
परेशान फिर मन है रोता
जाने क्यूँ है ऐसा होता?
जी ये करता , थोड़ा टहलूं
सुनु किसी की,अपनी कहलूं
हंसलूँ मैं भी मार ठहाका,
कल कल कर नदिया सा बहलूं
घर से निकल न पाता पर बस
कुछ करने में आता आलस
हो ना पाता मैं टस से मस
और मेरा धीरज है खोता
जाने क्यूँ है ऐसा होता?
मन खोया रहता यादों में
डूबा रहता अवसादों में
करवट यूं ही बदलता रहता,
नींद नहीं आती रातों में
जी न करे खाने पीने का
मज़ा गया सारा जीने का
छुपा दर्द मेरे सीने का ,
आंसूं बन है मुझे भिगोता
जाने क्यूँ है ऐसा होता ?
दिन दिन बढ़ती हुई उमर है
क्या ये उसका हुआ असर है
दिन भर खोया खोया रहता,
चैन नहीं मुझको पल दो पल है
कोई भी मन ना बहलाता
कोई प्यार से ना सहलाता
भूल गए सब रिश्ता ,नाता
यही सोच कर मन है रोता
जाने क्यों है ऐसा होता ?
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
No comments:
Post a Comment