भिक्षामदेही
तुम कोमलांगिनि ,मृदुदेही
है हृदय रोग , मै मधुमेही
मै प्यार मांगता हूँ तुमसे ,
भिक्षामदेही ,भिक्षामदेही
दीवानों का दिल लूट लूट ,
तुमने अपने आकर्षण से
निज कंचन कोषों में बांधा ,
तुमने कंचुकी के बंधन से
क्यों मुझको वंचित रखती हो ,
अपने संचित यौवन धन से
मै प्यार ढूढ़ता हूँ तुम में ,
है नज़र तुम्हारी सन्देही
भिक्षामदेही ,भिक्षामदेही
मै नहीं माँगता हूँ कंचन ,
मुझको बस, दे दो आलिंगन
मधु भरे मधुर इन ओष्ठों से,
दे दो एक मीठा सा चुंबन
मेरी अवरुद्ध शिराओं में ,
हो पुनः रक्त का संचालन
ना होगा पथ्य,अपथ्य ,तृप्त ,
होगा पागल ,प्रेमी ,स्नेही
भिक्षामदेही ,भिक्षामदेही
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
तुम कोमलांगिनि ,मृदुदेही
है हृदय रोग , मै मधुमेही
मै प्यार मांगता हूँ तुमसे ,
भिक्षामदेही ,भिक्षामदेही
दीवानों का दिल लूट लूट ,
तुमने अपने आकर्षण से
निज कंचन कोषों में बांधा ,
तुमने कंचुकी के बंधन से
क्यों मुझको वंचित रखती हो ,
अपने संचित यौवन धन से
मै प्यार ढूढ़ता हूँ तुम में ,
है नज़र तुम्हारी सन्देही
भिक्षामदेही ,भिक्षामदेही
मै नहीं माँगता हूँ कंचन ,
मुझको बस, दे दो आलिंगन
मधु भरे मधुर इन ओष्ठों से,
दे दो एक मीठा सा चुंबन
मेरी अवरुद्ध शिराओं में ,
हो पुनः रक्त का संचालन
ना होगा पथ्य,अपथ्य ,तृप्त ,
होगा पागल ,प्रेमी ,स्नेही
भिक्षामदेही ,भिक्षामदेही
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
No comments:
Post a Comment