Monday, June 27, 2016

पत्नीजी के जन्मदिवस पर

अगर आज का दिन ना होता
और नहीं तुम  जन्मी  होती
तो फिर कोई नार दूसरी ,
शायद  मेरी  पत्नी  होती
हो सकता है वो तुम जैसी ,
सुंदर और सुगढ़  ना होती
शायद अच्छी भी होती पर ,
वो तुमसे बढ़,चढ़ ना होती
तुमसी प्यारी और हंसमुख वो,
जिंदादिल ,नमकीन न होती
घर को सजाधजा रखने में ,
तुम सी कार्य प्रवीण न होती
अपना सब कर्तव्य निभाने ,
तुम्हारे समकक्ष  न होती
सभी घरेलू कामकाज और ,
पाकशास्त्र में दक्ष न होती
हो सकता है सींग मारती ,
तुम सी सीधी  गाय न होती
सभी काम जल्दी करने की,,
उसमे तुम सी   हाय न होती
नित्य नयी फरमाइश करती,
तुम जैसी  सन्तुष्ट न होती
मेरी हर छोटी गलती या ,
बात बात में रुष्ट न होती
कैसे पति को रखे पटा कर,
कैसे रूठ ,बात मनवाना
शायद उसे न आता होता ,
तुम जैसा प्यारा  शरमाना
ना ना कर हर बात मानने ,
वाली कला न आती होती
नित नित नए नाज़ नखरों से ,
मुझको नहीं सताती होती
यह भी हो सकता शायद वो,
तुमसे भी नखराली होती
अभी नचाता मैं तुमको ,
वो मुझे नचाने वाली होती
तुम हो एक समर्पित पत्नी,
पता नहीं वो कैसी होती
कलहप्रिया यदि जो मिल जाती,
मेरी ऐसी  तैसी होती
दिन भर सजती धजती रहती,
झूंठी शान बघारा करती
मुझ पर रौब झाड़ती  रहती,
निशदिन ताने मारा करती
अगर फैशनेबल मिल जाती,
मै आफत का ,मारा होता
रोज रोज होटल जाती तो ,
कैसे भला गुजारा  होता
मुझे प्यार भी कर सकती थी,
रूठूँ अगर, मना सकती थी
तुमसे बेहतर किन्तु जलेबी,
निश्चित ,नहीं बना सकती थी
शुक्र खुदा का कि तुम जन्मी
और मेरी अर्द्धांगिनी  हो
मै तुम्हारे लिए बना हूँ ,
और तुम मेरे लिए बनी हो
वर्ना मेरा फिर क्या  होता,
जाने कैसी पत्नी होती
तुमसी  कनक छड़ी ना होकर ,
हो सकता है हथिनी होती
तुम सीधीसादी देशी वो ,
कोई आधुनिक रमणी होती
अगर आज का दिन ना होता,
और नहीं तुम जन्मी होती

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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