Monday, June 27, 2016

        विदेश प्रवास

हम तो है ऐसे दीवाने
जाते तो है होटल, खाने,
पर खाना है घर का खाते ,
      निज टिफिन साथ में ले जाते
छुट्टी में जाते है विदेश
ये सोच करेंगें वहां ऐश
पर ये देखो और वो देखो,
      चलते चलते  है थक जाते
चक्कर में रूपये ,डॉलर के
ना रहे घाट के  ,ना घर के
फिर भी थैली में भर भरके ,
       हम  माल विदेशी है लाते
हम उन  महिलाओं जैसे है
खरचे, जो पति के पैसे  है
पर मइके के गुण गाती है ,
         हम गुण विदेश के गाते है

घोटू

No comments:

Post a Comment