मेरी कवितायें,
जलेबी की तरह ,
टेडी,मेड़ी ,अतुकांत है
पर चख कर देखो,
इनमे कुछ बात है
ये चासनी से भरी हुई है
इनमे मिठास है
ये गोल गोल छंद नहीं,
रस में डूबे हुए ,गुलाबजामुन है
जो एक नया स्वाद भर देंगे जीवन में
जब भी जीवन में ,शीत का मौसम सताये
इन्हें गरम गरम पकोड़ियों की तरह ;
प्यार की चटनी के साथ खा लेना ,
बड़ी स्वादिष्ट लगेगी,मेरी कवितायें
ये तो मन की विभिन्न भावनाओं की ,
मिली जुली भेलपुरी है
बड़ी चटपटी और स्वाद से भरी है
या इन्हें आलूबड़ा समझ कर ,
रोज रोज की ऑफिस और घर की
भागदौड़ के पाव के बीच में खा लेना
अपनी क्षुधा मिटा लेना
ये तवे पर सिकती हुई ,आलूटिक्कीयाँ है ,
जिनकी सौंधी सौंधी खुशबू तुम्हे लुभाएगी
ये गरम गरम और चटपटी ,
तुम्हे बहुत भायेगी
ये गोलगप्पे की तरह ,फूली फूली लगती है
पर बड़ी हलकी है
इनमे थोड़ी सी खुशियां,
और थोड़ी सी परेशानियों का खट्टा मीठा पानी ,
भर कर के खाओगे
बड़ी तृप्ति पाओगे
ये कोकोकोला की तरह झागीली नहीं है ,
कि ढक्कन खोल कर बोतल से पियो,
ये तो प्याऊ का पानी है ,
अपने हाथों की ओक से ,
अंजलि भर भर पीना
मिटा देगी तुम्हारी तृषणाये
मेरी कवितायें
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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