परशादखोर
तरह तरह के प्राणी रहते ,है इस दुनिया के जंगल में
कुछ गिरगिट जैसे होते है ,रंग बदलते है पल पल में
बचाखुचा शिकार शेर ,गीदड़ से खाते चुपके से ,
ये परशादखोर ऐसे है ,खुश हो जाते तुलसीदल में
इनको बस मतलब खाने से ,वो भी अगर मिले फ़ोकट में,
वो बस खाते है भंडारा ,जाते नहीं कभी होटल में
गैरों की शादी में घुस कर ,मज़ा लूटते है दावत का ,
इनसे जब चन्दा मांगो तो ,गायब हो जाते है पल में
घोटू
No comments:
Post a Comment