मज़ा उठालो जीवन के हर पल का
जब होता है समय ,हमें ना मिलती फुरसत ,
जब होती है फुरसत ,बचता समय नहीं है
इसीलिए हम इस जीवन के एक एक पल का,
पूर्ण रूप से मज़ा उठाले, यही सही है
जब तक दूध पड़ा था ताज़ा ,पी ना पाए,
वक़्त गुजरने पर फट जाता या जम जाता
फटे दूध को तुम पनीर कह मन बहला लो ,
जमे दूध में ,कभी दही सा स्वाद न आता
मित्रों ,समय हुआ करता है एक पतंग सा ,
जरा ढील दी ,छूटा ,हाथ नहीं आता है
गयी हाथ से निकल डोर और पतंग उड़ गयी ,
साथ पतंग से मांजा भी सब उड़ जाता है
जब तक तन में शक्ति थी तुम जुटे काम में,
रत्ती भर भी मज़ा उठाया ना जीवन का
अब जब थोड़ा वक़्त मिला तो बची न शक्ति ,
ढीला ढाला पड़ा हुआ हर पुर्जा तन का
हरे आम होते है खट्टे और सख्त भी,
पक जाने पर ,हरे आम ,पीले पड़ जाते
सही समय पर उसका मीठा स्वाद उठालो,
अगर देर की ,तो फिर आम सभी सड़ जाते
जब हो लोहा गरम चोंट तुम तब ही मारो ,
ठन्डे लोहे पर होता कुछ असर नहीं है
इसीलिये हम इस जीवन के एक एक पल का
,पूर्ण रूप से मज़ा उठाले,यही सही है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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