बिमारी गरदन की
बड़ी कम्बख्त है, बिमारी यार गरदन की,
जो कि 'स्पेडलाइटिस 'पुकारी जाती है
इसमें ना तो गरदन उठाई जा सकती,
इसमें ना गरदन झुकाई जाती है
पहले वो गैलरी में जब खड़ी हो मुस्काती,
उठा के गरदन हम दीदार किया करते थे
दिल में तस्वीरें यार छुपा, जब भी जी करता ,
झुका के गरदन उनको देख लिया करते थे
अब तो ना इस तरफ ही देख पाते ना ही उधर ,
दर्द जब होता है तो तड़फ तड़फ जाते है
हुई है जब से निगोड़ी ये बिमारी हमको,
उनके दीदार को हम तरस तरस जाते है
घोटू
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