तृण से मख्खन
एक सूखा हुआ सा तृण
भी निखर कर बने मख्खन
किन्तु यह सम्भव तभी है,
पूर्णता से हो समर्पण
घास खाती ,गाय भैंसे ,
और फिर करती जुगाली
बदलती सम्पूर्ण काया ,
इस तरह से है निराली
भावना मातृत्व की ,
उसमे मिलाती स्निघ्ता है,
चमत्कारी इस प्रक्रिया
में बड़ी विशिष्टता है
और उमड़कर के थनो से ,
बहा करती दुग्धधारा
जो है पोषक और जमकर ,
ले दधि का रूप प्यारा
बिलो कर के जिसे मख्खन ,
तैर कर आता निकल है
किस तरह हर बार उसका ,
रूप ये जाता बदल है
कौनसा विज्ञान है ये ,
कौनसी है प्रकृति लीला
शुष्क तृण का एक टुकड़ा ,
इस तरह बनता रसीला
दूध हो या दही ,मख्खन ,
सभी देते हमें पोषण
एक सूखा हुआ सा तृण
किस तरह से बने मख्खन
घोटू
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