Thursday, April 5, 2018

तेरा  सुमिरन 

जब भी मुझ पर आयी मुसीबत ,परेशनियों ने आ घेरा 
जब विपदा के बादल छाये ,मैंने नाम लिया बस तेरा 
सच्चे मन से किया सुमिरन,व्याकुल होकर,तुझे पुकारा 
तूने कृपा दृष्टि बरसाई ,हर संकट से मुझे उबारा 
मेरी तुझमे प्रबल आस्था ,हरदम बनी सहारा मेरा 
तेरी रहमत बनी रौशनी ,राह दिखाई ,मिटा अँधेरा 
सदा ख्याल रखता बच्चों का ,परमपिता,परवरदिगार तू 
भगवान अपने सब बंदों पर ,बरसाता ही रहा प्यार तू 
बसा हुआ तू रोम रोम में,सांस सांस में ,मेरे दिल में 
तुझे पता है ,पास तेरे ही ,आएंगे हम ,हर मुश्किल में 
तो फिर कोई मुसीबत को ,पास फटकने ही देता तू 
राह दिखाना तुझको फिर क्यों ,हमें भटकने ही देता तू 
शायद इसीलिए ना सुख में ,तेरा सुमिरण ,याद न आता
इसीलिए तू ,दुःख दे देकर ,शायद अपनी याद दिलाता 
हम नादान ,दिये तेरे सुख ,पाकर तुझे ,भूल जाते है 
इतने जाते डूब ख़ुशी में ,नाम तेरा ही, बिसराते है  
क्या दुःख आना आवश्यक है भगवन तेरी याद दिलाने 
हे प्रभु सुख में ,तेरा सुमरण ,नहीं दुखों को,देगा आने 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

No comments:

Post a Comment