Thursday, April 5, 2018

 

दुखी बाप की अरदास 

हे सुत ,मुझे अगन मत देना 
बहुत सताया है जीते जी ,मरने पर भी ,ना छोड़ोगे 
गर्म चिता में ,बांस मार कर ,तुम मेरा कपाल फोड़ोगे 
मृत्यु बाद भी ,इस काया को ,फिर तुम वही जलन मत देना 
हे सुत ,मुझे अगन मत देना 
अश्रु नीर की गंगा जमुना ,बहुत बहाई ,पीड़ित मन ने 
जीते जी कर दिया विसर्जित ,तुमने दुःख देकर जीवन में 
मेऋ  अस्थि के अवशेषों को,गंगा में तर्पण मत देना 
हे सुत ,मुझे अगन मत देना 
बहुत मुझे अवसाद दिए है ,नहीं पेट भर कभी खिलाया 
कभी नहीं ,मुझको मनचाहा ,भोजन दिया ,बहुत तरसाया 
श्राद्धकर्म कर ,तृप्त कराने ,ब्राह्मण को भोजन मत देना 
हे सुत ,मुझे अगन मत देना 

घोटू 

No comments:

Post a Comment