प्रथम प्रेम की यादें
जिधर जिधर से तुम गुजरी थी इस बगिया में ,
फूल रही है आज वहां की क्यारी क्यारी
जहां जहां पर मेंहदी वाले पैर पड़े थे ,
आज वहां पर उग आयी ,मेंहदी की झाड़ी
जहां गुलाबी हाथों से तुमने छुवा था ,
वहां गुलाब के फूल खिले है,महक रहे है
और जहाँ तुम खुश होकर खिलखिला हंसी थी
आज वहां पर कितने पंछी चहक रहे है
जहां प्यार से तुमने मुझे दिया था चुंबन ,
वहां भ्र्मर ,कलियों संग करते अभिसार है
संग तुम्हारे बीता मेरा एक एक पल पल ,
मेरे जीवन की एक प्यारी यादगार है
तो क्या हुआ ,आज यदि तुम हो गयी पराई ,
मगर कभी तुमने मुझको समझा था अपना
मेरे दिल में ,साँसों में ,मेरी आँखों में ,
अब भी बसा हुआ है वो प्यारा सा सपना
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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