तुम भी कुत्ते ,हम भी कुत्ते
तुम भी कुत्ते हम भी कुत्ते
आपस में भाई भाई हम ,फिर क्यों होते गुत्थमगुत्थे
तुम भी कुत्ते हम भी कुत्ते
तुम्हारी गली साफ़ सुधरी ,देखी जब इसकी चमक दमक
मुझको उत्सुकता खींच लाइ देखूं कैसी इसकी रौनक
देखा अनजान अजनबी को ,तुम सबके सब मिल झपट पड़े
चिल्लाये मुझ पर भोंक भोंक ,मेरे रस्ते में हुए खड़े
इस तरह शोर मत करो यार ,मारेंगे लोग हमें जुत्ते
तुम भी कुत्ते ,हम भी कुत्ते
तुमको ये डर था ,मैं आकर ,तुम्हारी सत्ता छीन न लूँ
जो पड़े रोटियों के टुकड़े ,मैं आकर उनको बीन न लूँ
भैया मेरा रत्ती भर भी ,ऐसा ना कोई इरादा था
बस रौनक देख चला आया ,बंदा मैं सीधासादा था
पर तुमने मुझे नोच डाला ,फाड़े मेरे कपड़े लत्ते
तुम भी कुत्ते ,हम भी कुत्ते
तुम भी भोंके ,हम भी भोंके ,जब शोर हुआ ,सबने रोका
हम रुके नहीं तो डंडे ले ,सबने मिल हमें बहुत ठोका
तुम पूंछ दबा ,मिमियाते से ,अपने दड़वे की ओर भगे
मैं समझ गया ये मृगतृष्णा थी ,दूरी से देखो,तुम्हे ठगे
डंडे ही मिलते खाने को ,मिल पाते नहीं मालमत्ते
तुम भी कुत्ते ,हम भी कुत्ते
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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