Friday, March 1, 2019

चंद  चतुष्पदियाँ  

१ 
हंसना सिखाया ,मस्तियाँ और मौज भेज दी 
ग़म रोके ,ढेर सारी खुशियां ,रोज भेज दी 
मांगे थे मैंने तुझसे बस दो तीन  खैरख्वाह ,
तूने तो खुदा ,दोस्तों की फ़ौज भेज दी 
२ ,
प्राचीन इमारतों की भी तो शान बहुत है 
बुझते हुए दीयों पर भी मुस्कान बहुत है 
जीने का ये अंदाज कोई सीख ले हमसे ,
महफ़िल ये बुजुर्गों की ,पर जवान बहुत है 
३ 
बढ़ती हुई उमर के भी अब अंदाज अलग है 
बूढ़े हुए है ,दिल में पर जज्बात अलग है 
लेते है मौज मस्तियाँ ,आशिक़ मिजाज है ,
बोनस में जी रहे है हम ये बात अलग है 
४ 
वीरान जिंदगी को वो कर खुशनुमा गये 
धड़कन के साथ ,जगह वो दिल में बना गये 
पहली नज़र में प्यार का जादू चला गए ,
आँखों के रस्ते आये और दिल में समा गए 
५ 
देखूं जो उसे ,मन में एक तूफ़ान जगे है 
मुस्कान मेरी अब भी मेरे मन को ठगे है 
चांदी से बाल ,सोने सा दिल ,हुस्न गजब का ,
 बुढ़िया  नहीं,बीबी मेरी ,जवान लगे है  
६ 
मोहब्बत तोड़ कर देखो ,मोहब्बत जान पाओगे 
मोहब्बत का सही मतलब ,तभी पहचान पाओगे 
शुरू में मोह होता है , साथ में रहते रहते पर ,
इबादत में ,इक दूजे की ,बदलता इसको पाओगे 

घोटू  ,


घोटू 

No comments:

Post a Comment