पवनपुत्र
यदि समय असमय हो भोजन
गेसज पदार्थ का अति सेवन
ज्यों चना ,मोठ,मूली ,शलजम
या लवणभास्कर,कृष्णलवण
जब ये पदार्थ ऊदरस्त हुये
हम पवन पीड़ से त्रस्त हुये
तब ऊदरगुहा उद्दलित हुयी
हलचल आंदोलन ग्रसित हुई
कुछ मुँह से निकली,बन डकार
कुछ भागी पहुँची गुदा द्वार
कुछ मौन शांत पर तीक्षण गंध
कुछ सुरसुर बहती मंद मंद
तो कुछ आती करती निनाद
दो पाद बीच बन प्रकट पाद
ये पाद नहीं ,ये पवनपुत्र
ये शत्रु नहीं ये परम मित्र
पीड़ा का काम तमाम करे
ये आये तो आ राम मिले
बैचैन जान की सुध पाए
राहत लख मन अति हरशाये
अवसाद मिटे ,आये आह्लाद
उस परम पाद को धन्यवाद
घोटू
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