मुझसे झगड़ा न करो रानी
मुझ भोले भाले ,बैठे ठाले ,ढीले ढाले मानव से ,
तुम नए निराले नखरों से ,हरदम अकड़ा न करो रानी
मुझसे झगड़ा न करो रानी
माना तुम गोरी चमड़ी की ,चिकनी हो ,लाल चुकंदर सी
मैं बुद्धू, श्याम वरन का हूँ ,मेरी सूरत है बंदर सी
तुम पहलवान हो किंगकॉन्ग सी ,मुझे मर्ज है टीबी का
पर मुझसे क्यों झगड़ा करती ,क्या यही फर्ज है बीबी का
मुझ दुबले पतले प्राणी पर ,बेलन के वार चलाती हो
सलवार धार कर तानो की तीखी तलवार चलाती हो
मैं तंग आ गया तुम्हारी ,जिव्हा की तेज कतरनी से
घरवाला तो हूँ ,हार मानता लेकिन अपनी घरनी से
मेरे चूहे से कान ,मानता हूँ ,लेकिन ये कोमल है ,
इनको इतनी आज़ादी से ,ऐसे पकड़ा न करो रानी
मुझसे झगड़ा न करो रानी
देखो मैं तुम्हारे कितने ,नखरे और नाज़ उठाता हूँ
पर फिर भी तुम्हारे खिलाफ ,मैं ना आवाज उठाता हूँ
पिक्चर का मूड कभी होता तो तुमको राजी करता हूँ
तुम्हारी रूप प्रशंसा कर ,मैं मख्खनबाजी करता हूँ
लेकिन तुम एक टके जैसा उत्तर दे टरका देती हो
मेरे पॉकेट के सब रूपये ,चुपके से सरका लेती हो
मैं इतना काम किया करता पर फिर भी भीगी बिल्ली सा
तुम बम्बई सी भड़कीली ,मैं मौन शांत हूँ दिल्ली सा
तुम्हारी बिना इजाजत के ,मैं नहीं कहीं भी जा सकता ,
भारत स्वतंत्र फिर बंधन में ,मुझको जकड़ा न करो रानी
मुझसे झगड़ा न करो रानी
तुम पढ़ीलिखी हो समझदार हो ,दो बच्चों की मम्मी हो
मैं एक नए पैसे जैसा हूँ तो तुम एक अठन्नी हो
तुम एवरेस्ट सी ऊंची हो तो मैं हूँ एक टिबड्डा सा
तुम पेसेफिक सी गहरी हो मैं हूँ बरसाती गड्डा सा
सब कहते है मैं हूँ गदहा पर मैंने हथिनी पायी है
लेकिन है गर्व मुझे ,मैंने तुम जैसी पतनी पायी है
तुम मच्छरदानी जैसी हो मैं मच्छर जैसा हूँ सजनी
पर मैं तुम्हारा पति जो हूँ ,परमेश्वर जैसा हूँ सजनी
मेरी पूजा यदि नहीं करो तो मुझको भक्त बना लो तुम ,
मेरी पूजा स्वीकार करो दिल यूं सकडा न करो रानी
मुझसे झगड़ा न करो रानी
वो तो मैं ही हूँ ढीठ बना सब बात तुम्हारी सुन लेता
एक बात के उत्तर में ,मैं आठ तुम्हारी सुन लेता
पर अब ये अल्टीमेटम है कि तुमसे नहीं डरूंगा मैं
यह हड़ताली युग आया देवीजी हड़ताल करूँगा मैं
इन रोज रोज की झिड़की से जो लगी एक भी बात मुझे
तो निश्चित ही बनना होगा फिर कोई तुलसीदास मुझे
मैं साधू कवि बन गया तो ,मेरी जग में इज्जत होगी
लेकिन इतना तो सोचो तुम ,तुम्हारी क्या हालत होगी
मुझको बैरागी बनने से ,जो अगर बचाना है तुमको
ना झगडोगी लो कसम प्रिये ,हमसे अकड़ा न करो रानी
मुझसे झगड़ा न करो रानी
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
मुझ भोले भाले ,बैठे ठाले ,ढीले ढाले मानव से ,
तुम नए निराले नखरों से ,हरदम अकड़ा न करो रानी
मुझसे झगड़ा न करो रानी
माना तुम गोरी चमड़ी की ,चिकनी हो ,लाल चुकंदर सी
मैं बुद्धू, श्याम वरन का हूँ ,मेरी सूरत है बंदर सी
तुम पहलवान हो किंगकॉन्ग सी ,मुझे मर्ज है टीबी का
पर मुझसे क्यों झगड़ा करती ,क्या यही फर्ज है बीबी का
मुझ दुबले पतले प्राणी पर ,बेलन के वार चलाती हो
सलवार धार कर तानो की तीखी तलवार चलाती हो
मैं तंग आ गया तुम्हारी ,जिव्हा की तेज कतरनी से
घरवाला तो हूँ ,हार मानता लेकिन अपनी घरनी से
मेरे चूहे से कान ,मानता हूँ ,लेकिन ये कोमल है ,
इनको इतनी आज़ादी से ,ऐसे पकड़ा न करो रानी
मुझसे झगड़ा न करो रानी
देखो मैं तुम्हारे कितने ,नखरे और नाज़ उठाता हूँ
पर फिर भी तुम्हारे खिलाफ ,मैं ना आवाज उठाता हूँ
पिक्चर का मूड कभी होता तो तुमको राजी करता हूँ
तुम्हारी रूप प्रशंसा कर ,मैं मख्खनबाजी करता हूँ
लेकिन तुम एक टके जैसा उत्तर दे टरका देती हो
मेरे पॉकेट के सब रूपये ,चुपके से सरका लेती हो
मैं इतना काम किया करता पर फिर भी भीगी बिल्ली सा
तुम बम्बई सी भड़कीली ,मैं मौन शांत हूँ दिल्ली सा
तुम्हारी बिना इजाजत के ,मैं नहीं कहीं भी जा सकता ,
भारत स्वतंत्र फिर बंधन में ,मुझको जकड़ा न करो रानी
मुझसे झगड़ा न करो रानी
तुम पढ़ीलिखी हो समझदार हो ,दो बच्चों की मम्मी हो
मैं एक नए पैसे जैसा हूँ तो तुम एक अठन्नी हो
तुम एवरेस्ट सी ऊंची हो तो मैं हूँ एक टिबड्डा सा
तुम पेसेफिक सी गहरी हो मैं हूँ बरसाती गड्डा सा
सब कहते है मैं हूँ गदहा पर मैंने हथिनी पायी है
लेकिन है गर्व मुझे ,मैंने तुम जैसी पतनी पायी है
तुम मच्छरदानी जैसी हो मैं मच्छर जैसा हूँ सजनी
पर मैं तुम्हारा पति जो हूँ ,परमेश्वर जैसा हूँ सजनी
मेरी पूजा यदि नहीं करो तो मुझको भक्त बना लो तुम ,
मेरी पूजा स्वीकार करो दिल यूं सकडा न करो रानी
मुझसे झगड़ा न करो रानी
वो तो मैं ही हूँ ढीठ बना सब बात तुम्हारी सुन लेता
एक बात के उत्तर में ,मैं आठ तुम्हारी सुन लेता
पर अब ये अल्टीमेटम है कि तुमसे नहीं डरूंगा मैं
यह हड़ताली युग आया देवीजी हड़ताल करूँगा मैं
इन रोज रोज की झिड़की से जो लगी एक भी बात मुझे
तो निश्चित ही बनना होगा फिर कोई तुलसीदास मुझे
मैं साधू कवि बन गया तो ,मेरी जग में इज्जत होगी
लेकिन इतना तो सोचो तुम ,तुम्हारी क्या हालत होगी
मुझको बैरागी बनने से ,जो अगर बचाना है तुमको
ना झगडोगी लो कसम प्रिये ,हमसे अकड़ा न करो रानी
मुझसे झगड़ा न करो रानी
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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