Tuesday, July 30, 2019

ओ डैडी !

मैं तो बडा निराश हो गया ओ डैडी
अब दहेज़ बिल पास हो गया ओ डैडी

कितना दुखी है आफत का मारा मै
बीस बरस की उमर हुई पर कंवारा मैं
कितने ऑफर आये कितने भाव बढे
लेकिन तुम तो अपनी जिद पर रहे अड़े
एक लाख से कम दहेज़ के ऑफर पर ,
दिया नहीं कुछ ध्यान आपने ओ डैडी
किया न मम  कल्याण आपने ओ डैडी

अब तक चेक समझ कर मुझको बैठे थे
चढ़ते शंकर जी को, मावे के पेठे थे
ऐसी बहू दिला बेटे को ए शंकर
भैंस सरीखी देवे दूध बाल्टी भर
दूध दहेजी कम दे लेकिन सुन्दर हो ,
मै तो उजली गाय मांगता ओ डैडी
यही आपसे राय मांगता ओ डैडी

मैं अब भी कहता हूँ मेरा ख्याल करो
मेरी शादी ओ फादर अगले साल करो
जितना मिले दहेज़ वही लो ,मत अकड़ो
भाग रहा है भूत लंगोटी ही पकड़ो
अगर फंसे जो कहीं दहेजी चक्कर में ,
डर लगता बहुत बड़े घर से अब ओ डैडी
मित्र हुए मेरे मैरिड सब ओ डैडी

घोटू 

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