मेरे प्यार का दुश्मन
ये कान लगा कर सुनती है जब वो इनसे कुछ कहता है
ये उससे चिपकी रहती है ,वो इनसे चिपका रहता है
ये मेरी ओर देखती ना ,बस उससे नज़र मिलाती है
और एक हाथ से पकड़ उसे ,फिर दूजे से सहलाती है
वो थोड़ी सी हरकत करता तो उसके पास दौड़ती है
हद तो तब होती बिस्तर पर भी ,उसको नहीं छोड़ती है
वो नाजुक नाजुक हाथ कभी ,सहलाया करते थे हमको
बालों में फंसा नरम ऊँगली,बहलाया करते थे हमको
वो ऊँगली हाथ सलाई ले ,सर्दी में बुनती थी स्वेटर
सर दुखता था तो बाम लगा ,जो सहलाती थी मेरा सर
वो ऊँगली जिसमे चमक रहा अब भी सगाई का है छल्ला
हो गयी आज बेगानी सी ,है छुड़ा लिया मुझसे पल्ला
ऐसी फंस गयी मोहब्बत में ,उस स्लिम बॉडी के चिकने की
करती रहती है चार्ज उसे ,और मेरे पास न टिकने की
वो इन्हे संदेशे देता है ,घंटों तक इनको तकता है
अपने सीने में खुले आम ,इनकी तस्वीरें रखता है
उससे इनने दिल लगा लिया ,और तोड़ दिया है मेरा दिल
मेरी जान का दुश्मन मोबाईल ,मेरे प्यार का दुश्मन मोबाईल
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
ये कान लगा कर सुनती है जब वो इनसे कुछ कहता है
ये उससे चिपकी रहती है ,वो इनसे चिपका रहता है
ये मेरी ओर देखती ना ,बस उससे नज़र मिलाती है
और एक हाथ से पकड़ उसे ,फिर दूजे से सहलाती है
वो थोड़ी सी हरकत करता तो उसके पास दौड़ती है
हद तो तब होती बिस्तर पर भी ,उसको नहीं छोड़ती है
वो नाजुक नाजुक हाथ कभी ,सहलाया करते थे हमको
बालों में फंसा नरम ऊँगली,बहलाया करते थे हमको
वो ऊँगली हाथ सलाई ले ,सर्दी में बुनती थी स्वेटर
सर दुखता था तो बाम लगा ,जो सहलाती थी मेरा सर
वो ऊँगली जिसमे चमक रहा अब भी सगाई का है छल्ला
हो गयी आज बेगानी सी ,है छुड़ा लिया मुझसे पल्ला
ऐसी फंस गयी मोहब्बत में ,उस स्लिम बॉडी के चिकने की
करती रहती है चार्ज उसे ,और मेरे पास न टिकने की
वो इन्हे संदेशे देता है ,घंटों तक इनको तकता है
अपने सीने में खुले आम ,इनकी तस्वीरें रखता है
उससे इनने दिल लगा लिया ,और तोड़ दिया है मेरा दिल
मेरी जान का दुश्मन मोबाईल ,मेरे प्यार का दुश्मन मोबाईल
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
No comments:
Post a Comment